हमारा `एसी' प्रेम

गरीब ऊंचे तापमान में आराम से रह सकते हैं क्योंकि उनका शरीर इसके अनुकूल हो गया है। समाजवाद का यह भारतीय रूप है जो सभी के लिए आरामदायक हालात नहीं बनाता।
तारिक अजीज / सीएसई
तारिक अजीज / सीएसई
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एक विज्ञापन में अमिताभ बच्चन के घर आए दोस्त उनसे कहते हैं कि गर्मी बहुत है और उन्हें ठंडा होने के लिए कुछ चाहिए। उनकी इस मांग से उलट अमिताभ बच्चन गर्म चाय और नाश्ते का आदेश दे देते हैं। वह ऐसा क्यों करते हैं? दरअसल उनका एयर कंडिशनर (एसी) कमरे को इतना ठंडा कर देगा कि कुछ गर्म पीने की जरूरत महसूस  होगी। यह “वही” तापमान की समस्या है जिससे हम नि:संदेह जूझ रहे हैं। यह आराम का मामला कतई नहीं है। यह हैसियत या कुछ और ही मामला है।

ऐसा तब है जब हम इस बात से पूरी तरह वाकिफ हैं कि ठंडा और गर्म करने की मशीनें सबसे अधिक ऊर्जा की खपत करती हैं। बिजली की मांग को कम करने के लिए ठंडा और गर्म करने की जरूरतों का प्रबंधन अभी दूर की कौड़ी है, इसके साथ ही कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन भी जो जलवायु परिवर्तन में योगदान देता है। फिलहाल हम सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रहे हैं।

वह कौन सा आरामदायक तापमान है जिसे ध्यान में रखते हुए इमारत बनाई जानी चाहिए? भारत मानक ब्यूरो इमारतों के डिजाइन के लिए नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी) बनाता है। ये कोड देश में इमारतों के डिजाइन का नियमन करते हैं। यह आरामदायक तापमान को भी परिभाषित करता है। 2005 में बने कोड में नॉन एसी इमारत के लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान निर्धारित किया गया था। ठंड में एसी इमारत के लिए तापमान 21-23 डिग्री और गर्मियों के लिए तापमान 23-26 डिग्री सेल्सियस तय किया गया था। हालांकि यह तापमान काफी कम था।

आलोचनाओं को देखते हुए 2016 में कोड संशोधित किए गए लेकिन इसने हालात और बदतर कर दिए। नए कोड काफी पेचीदा हैं। इसमें नंबर की जगह एक फार्मूला तय किया गया है। यह फार्मूला बताता है कि इमारत के अंदर का तापमान बाहर के औसत तापमान के आधार पर होना चाहिए। इसमें इमारतों के वर्गीकरण को विस्तार दे दिया गया जैसे प्राकृतिक रूप से हवादार, मिश्रित मोड (जहां निश्चित अवधि में ठंडा या गर्म करने की जरूरत पड़ती है), और केवल एसी इमारतें। पहले एसी इमारतों की दो श्रेणियां उलझन में डालने के लिए थीं।

मैंने अपने एक सहयोगी से पूछा कि कोड के अनुसार अंदर का तापमान उस वक्त क्या होगा जब बाहर का औसत तापमान 40 डिग्री सेल्सियस हो। तब पता चला कि नॉन एसी परिस्थितियों में आरामदायक तापमान 34.4 डिग्री सेल्सियस तक होगा, जबकि एसी वाले हालात में यह 25 डिग्री सेल्सियस होगा। यह तर्क अजीब और भेदभाव वाला है। यह तथाकथित आरामदायक मॉडल अहमदाबाद की सीईपीटी यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन पर आधारित है।

एनबीसी के अनुसार, वातानुकूलित वातावरण में साल भर रहने वाले लोग इसके आदी हो जाते हैं। वातावरण में गर्मी बढ़ने पर उनकी स्थिति बिगड़ सकती है। इसके वितरीत खुली हवादार इमारत में रहने या काम करने वाले जगह के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं। वह बदलते तापमान के अनुसार, खुद को समायोजित कर लेते हैं। यह जलवायु परिवर्तन के स्थानीय पैटर्न को प्रतिबिंबित करते हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो एसी का इस्तेमाल करने वाले अमीर कम तापमान में ही आराम से रह सकते हैं। यह गरीबों के विपरीत है। यानी गरीब ऊंचे तापमान में आराम से रह सकते हैं क्योंकि उनका शरीर इसके अनुकूल हो गया है। समाजवाद का यह भारतीय रूप है जो सभी के लिए आरामदायक हालात नहीं बनाता। अमीरों द्वारा ऊर्जा की खपत कम करने के लिए ऊंचे तापमान सहन करने की बात नहीं करता। सरकार भी ऐसा नहीं करती।

तापमान निर्धारण की दोषपूर्ण प्रणाली का सवाल थोड़ी देर के लिए किनारे रख देते हैं और सोचते हैं कि वास्तव में आराम का क्या मतलब है। गर्मी संबंधी आराम को प्रभावित करने वाले चार कारक हैं-तापमान, आर्द्रता, गर्म विकिरण और हवा की गतिशीलता। इसके बाद गर्मी में आराम को प्रभावित करने वाले दो मानवीय कारक हैं-कपड़े और व्यक्ति की मेटाबॉलिजम की दर। दूसरे शब्दों में कहें तो आप जगह को इस प्रकार डिजाइन कर सकते हैं जिससे सूर्य की सीधी रोशनी का असर कम हो और जगह हवादार बन सके। परंपरागत इमारतों में इसका खयाल रखा जाता था। कहने का मतलब है कि सूर्य को ध्यान में रखते हुए इमारत बने। सूर्य के पैटर्न को ध्यान में रखते हुए गर्मी की धूप से बचाव हो सकता है। भारत में आमतौर पर घरों में छज्जे और बालकनी इसी मकसद से बनाए जाते हैं। यह सभी जगह अनिवार्य होना चाहिए। पूरी इमारत में कांच लगाना जरूरी नहीं है। उच्च वर्ग और एसी प्रेमी लोग ऐसी इमारतों को पसंद करते हैं। यह भी जरूरी है ज्यादा गर्मी वाले हिस्से में ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाएं क्योंकि ये तापरोधी होते हैं।

सबसे जरूरी बात यह कि इमारत को हवादार बनाना इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे आराम मिलता है। इसी कारण गरीब भी ऊंचे तापमान को बर्दाश्त कर पाते हैं। ऐसा वे इसलिए कर पाते हैं क्योंकि उनके घरों में आंगन और खिड़कियां होती हैं जिनसे हवा बहती रहती है। वे आराम के लिए घर बनाते हैं।

हम इंसानों को आराम के लिए हवादार इमारतों की जरूरत है। इसलिए तापमान नियंत्रक स्थापित से जरूरी गरीब का दीनहीन पंखा है। पंखा आपको महंगे एसी से बेहतर आराम दे सकता है। इसलिए ठंडे होने की जरूरत है लेकिन एसी वाली ठंडक से नहीं। 

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